सख़्त थोड़ी ज़ुबाँ है तो क्या है ?
आदमी वो मगर काम का है ||
देर तक वो मुझे देखता है |
मेरे बारे में क्या सोचता है ?
खोल कर माल देखा तो नकली |
चिपका लेबल बड़े नाम का है ||
झूठ का कर रहा ये दिखावा |
सर ज़मीं तक झुका कर मिला है ||
ज़हर जिसमे हसद का भरा है |
वो किसी को नहीं छोड़ता है ||
साँप तो छेड़ने पर ही काटे |
आदमी हर समय काटता है ||
जान अटकी हुई है उसी में |
बेटा लेकर के बाइक गया है ||
है पडौसी की आदत बुरी ये |
घर से निकलो तभी टोकता है ||
भूलने की अजब उसकी आदत |
नाम बस मेरा ही भूलता है ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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