सीधी सादी ग़ज़लें
ख़ुद को समझा तो ख़ुद बुरा निकला |
उसको समझा तो वो ख़ुदा निकला ||
दिल से उसको सदा भुलाने का वो |
वो ग़लत मेरा फ़ैसला निकला ||
जिससे पूछा कुसूर किसका है ?
वो तरफ़दार उसीका निकला ||
साफ़गोई गुनाह है समझा |
जब ख़तावार आईना निकला ||
तुझको पाना था पा लिया होता |
मैं इरादों का खोखला निकला ||
दस्तकें दी हैं मंजिलों ने पर |
ये नसीब अपना ही बुरा निकला ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
ज़िन्दगी की डगर देखिये |
हर क़दम पे है डर देखिये ||
कट गए कितने सर देखिये ?
सुर्ख़ियों में ख़बर देखिये ||
सुर्ख़ियों में ख़बर देखिये ||
ख़स्ता दीवार -ओ - दर देखिये |
मेरे दिल का नगर देखिये ||
जीस्त मेरी संवर जायेगी |
आप इक पल इधर देखिये ||
आप ही आप इस दिल में हैं |
देखिये झांक कर देखिये ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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