Sunday, 29 May 2011

सीधी सादी ग़ज़लें

      सीधी सादी ग़ज़लें 
 
ख़ुद को समझा तो ख़ुद बुरा निकला |
उसको समझा तो वो  ख़ुदा निकला ||

दिल से   उसको सदा भुलाने   का वो |
वो  ग़लत   मेरा  फ़ैसला    निकला ||

जिससे    पूछा    कुसूर  किसका  है ?
वो    तरफ़दार    उसीका    निकला ||

साफ़गोई     गुनाह     है     समझा |
जब   ख़तावार    आईना    निकला ||

तुझको  पाना  था  पा  लिया   होता | 
मैं   इरादों  का   खोखला  निकला ||

दस्तकें  दी   हैं  मंजिलों  ने   पर |
ये नसीब अपना ही बुरा निकला ||

                                          डा० सुरेन्द्र सैनी 

ज़िन्दगी    की   डगर   देखिये |
हर   क़दम   पे  है  डर  देखिये ||

कट   गए  कितने सर   देखिये ?
सुर्ख़ियों   में    ख़बर    देखिये ||

ख़स्ता दीवार -ओ - दर  देखिये |
मेरे   दिल   का  नगर   देखिये ||

जीस्त   मेरी    संवर     जायेगी |
आप  इक  पल   इधर   देखिये ||

आप ही आप इस दिल में हैं |
देखिये    झांक   कर     देखिये ||

                                                    डा० सुरेन्द्र सैनी 

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