Friday 10 June 2011

सीधी सादी ग़ज़लें (जारी)


लोगों   से    तू    चाहे   परदादारी   रख |
मुझसे   थोड़ी  सी  तो  आपसदारी रख ||

लीक पे चलना तो दुनिया की आदत है |
अपनी कुछ बातें दुनिया से न्यारी  रख ||

जिसके घर  कल पूरी बोतल  पी आया |
उसके ग़म में भी कुछ  हिस्सेदारी रख ||

मुझको    मेरी   तन्हाईं     में  जीने    दे |
ले  तू  अपने पास ये दुनिया सारी रख ||

हिंदी  उर्दू   के   चक्कर  में  मत पड़ना |
दिल   के यूँ जज़्बात सुनाना जारी रख ||

माना  की  महबूब  रूठ  कर चला गया |
तू  भी  अपने  अंदर  कुछ  ख़ुद्दारी रख ||

घायल हों जज़्बात कभी तो मत   डरना |
तू अपनी  चाहत  का  पलड़ा भारी रख ||

हो    हंगामा   कोई   इससे   पहले   ही |
मैख़ाने   से   उठने   की   तैयारी   रख ||

                                                                डा० सुरेन्द्र सैनी 

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