रास्ता बदगुमाँ हो गया |
लापता कारवाँ हो गया ||
उनकी ताक़ीद का है असर |
आज मैं बेजुबाँ हो गया ||
साज़िशों का शिकार आज फिर |
ये दिल - ए- नातवाँ हो गया ||
चार तिनकें भी जिसमें नहीं |
नाम को आशियाँ हो गया ||
आसमाँ से कुछ उम्मीद थी |
वो भी आतिश - फिशाँ हो गया ||
बात अब तक न बन पाई है |
मुद्दआ भी बयाँ हो गया ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
रात की रोटी सुबहा खाली |
इक मुफ़लिस ने ईद मनाली ||
हाथ भी खाली पेट भी खाली |
लोग कहें इसको ख़ुशहाली ||
बच्चों की मेले की ज़िद पर |
बेबस बाप सुनाये गाली ||
कुछ पैसे बोनस में देकर |
आकाओं ने रस्म निभाली ||
किससे क्या उम्मीद वफ़ा की ?
दुनिया सारी देखी भाली ||
जब उनसे कुछ कहना चाहा |
तब दातों ने जीभ दबाली ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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