ये जो मौसम सुहाना हो गया है |
ग़ज़ल का गुनगुनाना हो गया है ||
तुम्हारा मुस्कुराना हो गया है |
मुकम्मल ये तराना हो गया है ||
लबों पर मुस्कुराहट लौट आयी |
मुक़रर उनका आना हो गया है ||
फ़क़त तेरे ही आने की कमी थी |
मुकम्मल आशियाना हो गया है ||
ज़रा सी देर से पहुँचा रिसाला |
उन्हें मुश्किल बुलाना हो गया है ||
सबब अश्कों का आँखों में हमारी |
तुम्हारी याद आना हो गया है ||
ग़ज़ल कह कर तेरी तारीफ़ कर दूं |
मगर ये ढंग पुराना हो गया है ||
तुम्हारा नाम ले लेकर के जीना |
बड़ा अच्छा बहाना हो गया है ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
दुःख देती कडुवी बातें |
सुख देती मीठी बातें ||
अब तक यादों में ठहरी |
तेरी वो प्यारी बातें ||
भारी भारी सा मन है |
कर हलकी फुलकी बातें ||
मैं तो तेरा अपना हूँ |
मुझ से कह मन की बातें ||
छोडो कब तक गाओगे ?
वो अगली पिछली बातें ||
वो अगली पिछली बातें ||
सीधा सादा बन्दा है |
उससे कर सीधी बातें ||
ग़म हल्का होगा तू सुन |
बच्चे की तुतली बातें ||
कडुआ सच कह देती हैं |
अक्सर आलिम की बातें ||
दुनिया में सब सुनते हैं |
अपने मन भाती बातें ||
दफ़्तर में क्यूँ करते हो ?
अपने घर- वर की बातें ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
No comments:
Post a Comment