उलझ कर रह गये हैं आंकड़ों से लोग सारे |
बज़ाहिर खुश दिखे हैं सूरतों से लोग सारे ||
तलातुम में सफ़ीना आ गया तो देख लीजे |
ख़फ़ा हैं नाख़ुदा की कोशिशों से लोग सारे ||
लगी रहती यें सा रा दिन किसी रोबोट जैसी |
करें तकरार फिर भी औरतों से लोग सारे ||
न जाने क्या हुआ ये आज मेरे इस वतन को ?
लड़े आपस में क्यों कर पागलों से लोग सारे ||
सुखन अब जा रहा किस दौर में अब सोचिये तो ?
नदारद हैं अदब की महफ़िलों से लोग सारे ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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